
थांदला: सड़कों पर आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या बनी सिरदर्द… नगरवासी परेशान
प्रीतिश अनिल शर्मा
थांदला– बीते कुछ समय से नगर में आवारा पशुओं की संख्या में तेजी से बढोत्तरी हो रहीं है। पशुपालकों द्वारा पशुओं को उपयोग के बाद छोड़ देने से नगर के चौराहे और सड़कें इनसे भरी पड़ी हैं। आवारा सांडो और कुत्तों ने भी नगर के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। गाय और सांडों के सींग और कुत्तों के नुकीले दांतों का शिकार कई लोग हो चुके हैं, दुकानदारों को भी अपने सामान का नुकसान करा कर खामियाजा भुगतना पड़ता है। हार्न देने पर भी सड़क के बीचोबीच बैठे पशु नहीं हटते हैं। नगर परिषद प्रशासन ने आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया है जिससे नगर के लोग किसी तरह बच बचा कर आवागमन करने को विवश हैं।
देखा जाए तो नगर के हर गली मोहल्ले में आवरा पशुओं का आतंक हैं मुख्य रुप से बस स्टैंड, सब्जी मार्केट और पूरे एम जी रोड़ पर आवारा पशुओं का आतंक हर रोज देखने को मिल जाता हैं। इससे आमजन परेशान हैं। शिकायत के बाद भी वन विभाग, नगर परिषद और प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा है। नगर परिषद साल में एक या दो बार खाना पूर्ति के लिए आभियान चलता हैं लेकिन कोई कार्रवाई न होने से आवारा पशुओं की संख्या मुख्य सड़कों पर बढ़ती जा रही हैं। जिससे आए दिन दुर्घटनाएं तक हो रही हैं। सब्जी मार्केट और एमजी रोड़ आवारा पशुओं का मुख्य चारागाह बन गया है। गर्मी, जाड़ा और बरसात हर मौसम में आवारा पशु सड़को पर मौजूद रहते हैं। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान न जाने से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।
बाजार में उस समय भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जब फुटपाथ दुकानदारों की सब्जी, फल और खाद्य पदार्थों को आवारा पशु नुकसान पहुंचाते हैँ और दुकान संचालक उनको लठ से मार कर दौड़ा देते है। इसके बाद बाजार में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच जाती है। भगदड़ में कई लोग चोटहिल हो जाते हैं। नगर में प्रतिदिन किसी स्थान पर इन पशुओं का कोई न कोई शिकार बनता है। इनको कहीं रखने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इस लिए ये सड़कों पर कतार में बैठे रहते हैं। जिससे वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो जाता है।
नगर परिषद् की उदासीनता व पशु मालिकों के गैर जिम्मेदार रवैए के चलते थांदला में आवारा मवेशियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जो बेहद चिंता का विषय है। यह मवेशी लोगों के लिए मुसीबत बन गए। कोई बड़ी अनहोनी होन से पहले इस ओर नगर परिषद् व स्थानीय प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए।