
प्रीतिश अनिल शर्मा
झाबुआ – लालच देकर अवैध रूप से जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में न्यायाधीश लखन लाल गर्ग द्वारा फैसला देते हुए 3 आरोपियों को दो-दो वर्ष का सश्रम कारावास और 50000-50000 का अर्थदंड देने की सजा सुनाई है। अवैध धर्मांतरण के मामले में न्यायालय द्वारा पहली बार सजा सुनाई गई है.
सत्र न्यायालय झाबुआ के अधिष्ठाता एवं सत्र न्यायाधीश श्री लखनलाल गर्ग द्वारा सत्र प्रकरण क्रमांक 10/2022 में दिनांक 19 जूलाई को पारित निर्णय अनुसार ग्राम बिसौली निवासी जामसिंह पिता जोगड़िया क्रिश्चियन, अनसिह पिता गलियां क्रिश्चियन तथा मंगू पिता मेहताब क्रिश्चियन को मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यायदेश 2020(विधेयक2021) की धारा 5 के अपराध का दोषी करार देते हुए 2-2 वर्ष सश्रम कारावास एवं ₹50000 अर्थदंड से दंडित किया गया.
अभियान का प्रकरण संक्षिप्त में इस प्रकार है कि आवेदक टेटिया पिता हरु बारिया उम्र 26 वर्ष निवासी ग्राम बिसौली द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया कि मेरे गांव में फादर जामसिंह पिता जोगड़ियां निवासी ग्राम बिसौली मंगू पिता मेहताब निवासी ग्राम मोकमपुरा पास्टर अनसिंह पिता गलियां निनामा निवासी ग्राम बिसौली हर रविवार को आदिवासी जाति के लोगों का धर्मांतरण करवाते है।
जामसिंह पिता जोगड़िया द्वारा बनाए गए प्रार्थनाघर ग्राम बिसौली में साप्ताहिक सामूहिक धर्मांतरण की सभा में मुझे और श्रीमती सुरती बाई पति कोदरिया ग्राम बिसौली को दिनांक 26.12.2021 को सुबह 8:00 बजे जामसिंह ने बुलाया और ईसाई धर्मांतरण की सभा में बिठाया और मेरे ऊपर जल छिड़काव किया गया और बाइबिल पढ़ी गई मुझे कहा गया कि तुम ईसाई बन जाओगे तो तुम्हारे पूरे परिवार को स्कूलमें शिक्षा और हमारी संस्थान के अस्पताल में फ्री इलाज मिलेगा तो मैंने कहा मुझे ईसाई नहीं बनना है. यह कहकर फरियादी बाहर आ गया उक्त घटना की रिपोर्ट पर आरोपी जामसिंह मंगू एवं अनसिंह के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. विवेचना आरोपीगण के मेमोरेंडम के आधार पर उनके पेश करने पर बाइबल अंकसूची शपथ पत्र आरोपी अनसिंह से एक स्टील का लोटा जप्त कर पंचनामा बनाये. गवाओ के कथन लेखबद्ध किए गए। विवेचना में आरोपियों को अपराध मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यायदेश 2020 (विधेयक2021) की धारा- 5 आवश्यक विवेचना उपरांत पाए जाने पर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्ष्य को विश्वसनीय व प्रमाणित मानकर आरोपी को कठोर कारावास एवं अर्थदंड से दंडित किया गया।
अभियोजन की ओर से प्रकरण का संचालन मानसिंह भूरिया लोक अभियोजक द्वारा किया गया एवं प्रकरण का अनु संसाधन सहायक उपनिरीक्षक प्रेमसिंह परमार द्वारा किया गया।