
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत के 15 दिवसीय संघ शिक्षा प्रगट कार्यक्रम संपन्न
संवाददाता शिव कुमार
धामनोद– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत के विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग का प्रकट कार्यक्रम जनता जिनिंग, महेश्वर रोड़ धामनोद में सम्पन्न हुआ। उक्त कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री बलिराम पटेल अखिल भारतीय सामाजिक सद्भाव सहसंयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने उद्बोधन में कहा कि संघ का आधार सत्य का है। संघ की शाखा में स्वयंसेवक अनुशासन सीखता है। स्वयंसेवक समाज को अपना अंगभूतघटक मानता है। समाज का कष्ट मेरा कष्ट है। स्वयंसेवक समाज का दर्पण है। देश के स्वतंत्रता में संघ ने बहुत कार्य किया। स्वयंसेवक प्रतिज्ञा करता है कि मैं हिंदू समाज की उन्नति करने के लिए में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घटक बना हूँ।
कश्मीर के भारत विलय में संघ के सरसंघचालक रहे श्री गुरुजी ने राजा हरिसिंह को समझाया और कश्मीर का भारत मे विलय हुआ। दादरा नगर हवेली पुर्तगाली के कब्जे में था, संघ के स्वयंसेवको ने मुक्त कराया।
गोवा मुक्ति आंदोलन में संघ के कार्यकर्ता राजाभाऊ महाकाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अखंडता की रक्षा के लिए स्वयंसेवक कार्य करता है।
1962 में चीन के आक्रमण के समय सैनिकों के लिए जो हो सकता था सभी कार्य संघ के स्वयंसेवको ने किया। भारत का स्वाभिमान बढ़ाने का कार्य किया।
1965 के युद्ध मे दिल्ली के यातायात व्यवस्था कार्य स्वयंसेवको ने सम्भाला। मिलिट्री अस्पताल में रक्तदान स्वयंसेवको ने किया। चरित्र ओर अनुशासन में स्वयंसेवको के कारण अनेको ग्रामो का कायाकल्प हुआ है। कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद शिला स्मारक के लिए संघ ने विचार किया कि यहां कोई ऐसा केंद्र स्थापित होना चाहिए जिससे राष्ट्रभाव जागृत हो सके और अभियान प्रारंभ हुआ। विवेकानंद समिति का गठन किया उसके लिए बहुत प्रकार के संघर्ष किये स्वयंसेवको ने देश से एक एक रुपया इकट्ठा किया। 1952 में स्वयंसेवको ने देशभर में गौरक्षा अभियान में पौने दो करोड़ हस्ताक्षर कराये। स्वयंसेवको ने देश पर आपत्ति आने पर कार्य किया। मोरबी के बांध टूटने पर स्वयंसेवको ने लाशों को उठाया। नागरिको को अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। समाज की सज्जनशक्ति को राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका तय करनी होगी। समाज का सामर्थ्य जगाने की आवश्यकता है। अंत में मुख्य वक्ता ने कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवक, संत समाज, मातृशक्ति व सज्जनवृंद से आव्हान किया कि समाज परिवर्तन के पंच प्राण सामाजिक समरसता, कुटुंब व्यवस्था, पर्यावरण, स्वदेशी व नागरिक अनुशासन में अपनी भूमिका सुनिश्चित करे जिससे कि जैसा राष्ट्र हम चाहते है वैसा बना सकते है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित धामनोद नगर की प्रसिद्ध चिकित्सक व समाजसेवी सुश्री डॉ. कुसुम पाटीदार ने कहा कि संघ राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता है। विश्व का नेतृत्व भारत करते आया है, राष्ट्र को आत्मविस्मृति से उभरने के लिए सभी देशवासियों को समाज के लिए कार्य करना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मानव निर्माण, समाज परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण का पुनित पावन कार्य कर रहा है। राष्ट्र किसी भवन का नाम या नक्शा नहीं होता है जिसकी मरम्मत या फिर इसके अनुसार किसी तरह का कोई निर्माण कार्य किया जा सके , राष्ट्र भावना होती है। भारतीय सभ्यता और राष्ट्रीयता एक दूसरे पर अवलम्बित है। राष्ट्र निर्माण के लिए समस्त समाजजन को अपने स्तर से भावना व्यक्त कर कार्य करना होगा। सभी नागरिकों में संस्कृति और विरासत के प्रति जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी तत्व है । राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना होगा।
साथ ही उक्त प्रकट कार्यक्रम में मंच पर वर्ग के माननीय सर्वाधिकारी श्री प्रकाश जी पाटीदार एवं धार जिले के माननीय जिला संघचालक श्री बाबुलाल जी हामड़ उपस्थित रहे।
प्रकट कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षार्थियों ने समता, आसन, व्यायाम योग, दण्ड, मनोरा, दण्डयुद्द, घोष, नियुद्ध, गीत आदि का प्रदर्शन किया।
वर्ग कार्यवाह श्री रितनेश रघुवंशी ने वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि इस संघ शिक्षा वर्ग में मालवा प्रान्त के 28 जिलों के 236 स्थानों से कुल 374 शिक्षार्थियों ने कठोर दिनचर्या का पालन करते हुए संघ शिक्षण प्राप्त किया साथ ही शारीरिक, बौद्धिक, व्यवस्था, सेवा, प्रचार, आदि विषयों का तथा अनुशासित सामूहिक जीवन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिक्षार्थियों को 37 शिक्षकों तथा प्रांतीय, क्षेत्रीय एवं केंद्रीय अधिकारियों ने सतत शिक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान किया । इस संघ शिक्षा वर्ग में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों ने स्वयं की गणवेश खरीदकर अपने कार्यों से अवकाश लेकर समय निकालकर स्वयं का शुल्क देकर संघ शिक्षा वर्ग में साधना की । वर्ग की भोजन व्यवस्था हेतु प्रतिदिन 15 दिवस तक आसपास के 45 ग्रामों व धामनोद व धरमपुरी नगर की 7 बस्तीयों के 7500 परिवारो से 65 हजार रोटियां प्राप्त हुई, जिसे स्वयंसेवकों ने प्रसाद मानकर ग्रहण किया। संघ शिक्षा वर्ग में धमनोद खण्ड के 273 परिवारो ने स्वयं उपस्थित होकर शिक्षार्थियों को मातृहस्त भोजन कराया। कार्यक्रम में धामनोद व आसपास से बड़ी मात्रा में साधु संत, मातृशक्ति व सज्जनवृंद सम्मिलित हुए।