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*Pooja Singh ने ठाकुरजी से रचाई शादी, पॉलिटिकल साइंस से MA कर चुकी 30 वर्षीय पूजा ने क्‍यों चुना ऐसा दूल्‍हा?*

Jaipur Rajasthan : ना कोई कुंडली दोष। ना कोई मन्‍नत मांगी हुई थी ना ही कोई परम्‍परा। फिर भी जयपुर की पूजा सिंह ठाकुरजी की दुल्‍हन बन गई। हाथों में उन्‍हीं के नाम की मेहंदी रचाई। मांग में सिंदूर भरा और विवाहिता हो गई। इस अनूठी शादी के फैसले की वजह यह थी कि पूजा सिंह ताउम्र अविवाहित नहीं रहना चाहती और किसी पुरुष के साथ सामान्‍य तरीके से शादी नहीं कर पाने का कारण पूजा की सोच है, जिसे उसने मीडिया के साथ बातचीत में शेयर की है।

नरसिंहपुरा के मंदिर में ठाकुरजी के साथ विवाह
पूजा सिंह ने राजस्‍थान के जयपुर जिले के गोविंदगढ़ के पास गांव नरसिंहपुरा के मंदिर में ठाकुरजी के साथ विवाह किया है। इस शादी में मेहंदी, वरमाला से लेकर कन्‍यादान व विदाई तक की सारी रस्‍में भी निभाई गई। पूजा सिंह भी दुल्‍हन की तरह सजी। शादी में पिता नहीं आए तो मंडप में उनकी जगह तलवार रखी गई।

शादी करने का फैसला उसने खुद लिया
पूजा सिंह ने बताया कि ठाकुरजी से शादी करने का फैसला उसने खुद लिया था। किसी ने कोई दबाव नहीं डाला। हालांकि शुरुआत में उसके इस फैसले पर परिवार, रिश्‍तेदार व समाज सहमत नहीं हुआ। पिता नाराज हो गए। शादी में भी नहीं आए, मगर मां रतन कंवर ने बेटी के फैसला का सम्‍मान किया और खुद की मौजूदगी में बेटी की धूमधाम से शादी करवाई।

पिता प्रेम सिंह मध्‍य प्रदेश में सिक्‍योरिटी एजेंसी चलाते
पूजा ने राजनीतिक विज्ञान में एमए तक की पढ़ाई की है। पिता प्रेम सिंह मध्‍य प्रदेश में सिक्‍योरिटी एजेंसी चलाते हैं। पूजा के तीन छोटे भाई अंशुमान, शिवराज और युवराज सिंह स्‍कूल-कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं। पापा के शादी में नहीं आने का पूजा सिंह को काफी दुख है। माता-पिता की सारी रस्‍में उनकी मां ने ही निभाई

पूजा ने ताउम्र किसी लड़के से शादी नहीं करने का फैसला लिया
पूजा कहती हैं कि उसने बचपन से देखा है कि पति पत्‍नी में छोटी छोटी बातों पर भी झगड़े होने लगते हैं, जिनकी वजह रिश्‍ते टूट जाते हैं। कई मामलों में महिलाओं की पूरी जिंदगी खराब हो जाती है। ये सब देखते और समझते पूजा ने ताउम्र किसी लड़के से शादी नहीं करने का फैसला लिया। शादी लायक होने पर परिजनों ने कई रिश्‍ते देखे, मगर पूजा ने हर बार मना कर दिया।


मां तो मान गई पर पापा राजी नहीं हुए
एक बार ननिहाल में देखा कि तुलसी के पौधे का ठाकुरजी से विवाह करवाया गया था। तब सोचा कि जब तुलसी का विवाह ठाकुरजी से हो सकता है तो मेरा क्‍यों नहीं? इस बारे में पंडित से पूछा तो उन्‍होंने कहा कि ऐसा संभव है। आप भी ठाकुरजी से शादी कर सकती हो। इस फैसले पर मां तो मान गई पर पापा राजी नहीं हुए।

300 लोगों का भोजन बनावाया गया
पूजा सिंह की ठाकुरजी से शादी में मां के अलावा रिश्‍तेदार व सहेलियां शामिल हुईं। तीन लाख रुपए खर्च किए गए हैं। मंदिर की सजावट की गई। करीब 300 लोगों का भोजन बनावाया गया। सामान्‍य शादी की सारी रस्‍में निभाई गई। मंडप भी सजाया गया। मंगलगीत भी गाए। ठाकुरजी की ओर से खुद पूजा ने चंदन की मांग भरी। इसके अलावा गणेश पूजन, चाकभात, मेहंदी व सात फेरों तक की सारी रस्‍में हुईं।

लोग उसे कुंवारी होने का ताना मारा करते थे
पूजा कहती हैं कि बढ़ती उम्र के कारण लोग उसे कुंवारी होने का ताना मारा करते थे। इसलिए भी उसने ठाकुरजी से शादी की है। अब कोई नहीं कह सकता कि वह कुंवारी हैं। शादी के बाद ठाकुरजी की प्रतिमा को वापस मंदिर में विराजमान कर दिया गया जबकि पूजा अपने घर पर रहती है। अपने कमरे में ठाकुरजी का छोटा सा मंदिर बनवा रखा है। जमीन पर सोती हैं। सुबह सात बजे मंदिर में भोग लगाती है। सुबह-शाम को आरती भी करती है।
दैनिक भास्‍कर की खबर के अनुसार आचार्य राकेश कुमार शास्‍त्री कहते हैं कि शास्‍त्रों में उल्‍लेख है कि भगवान विष्‍णु शालिग्राम से कन्‍या का विवाह होता है। जैसे तुलसी ने विष्‍णु भगवान का सौभाग्‍य प्राप्‍त करने के लिए ठाकुरजी से विवाह किया है। उसी तरह से ठाकुरजी से पूजा सिंह ने शादी की है

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