
प्रीतिश अनिल शर्मा
थांदला – राष्ट्रवादी संत महंत नागा देव नारायणदासजी नागाजी महाराज की 31वीं पुण्यतिथि अष्ट हनुमानजी बावड़ी मंदिर प्रांगण पर गुरु पूजन आरती एवं भंडारे के साथ संपन्न हुई l
इस अवसर पर डुंगरांचल के प्रसिद्ध मंदिरों के महंत जिनमें पीपलखूटा महंत प्रतिनिधि चिंतामणि महाराज, बद्रीदास महाराज मेघनगर, बालकदासजी महाराज खच्चरटोड़ीं, सुखरामजी महाराज शांति आश्रम, लक्षमणदासजी महाराज रंभापुर, रामदासजी महाराज चेनपुरी, देवीदासजी महाराज दूल्हा खेड़ी, बालपुरीदासजी महाराज, सेवकदासजी महाराज रूपगढ़, पंडित जितेंद्र पाठक सहित बड़ी संख्या में नागाजी के अनुयाई महंत व शिष्य मंडल सम्मिलित हुए। आयोजन में अष्ट हनुमानजी मंदिर के महंत नारायणदासजी महाराज व अष्ट हनुमान मंदिर न्यास अध्यक्ष अशोक अरोड़ा के साथ सभी भक्तों ने मंदिर परिसर में नागाजी महाराज के पादुका पूजन कर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की व नागाजी महाराज की आरती उतारी। इस दौरान मंदिर न्यासी विट्ठल शर्मा, तुलसीराम मेहते, गणराज आचार्य, दिलीप पांचाल, राजू धानक आदि ने सभी पधारें महंतों का फूल माला व भेंट देते हुए स्वागत किया गयाl
कार्यक्रम में ओम प्रकाश भट्ट, समाजसेवी विश्वास सोनी, नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि सुनील पणदा, बंटी डामोर, विनीत शर्मा, राकेश सोनी, सुरेशचंद्र शुक्ला, जितेंद्र कोठारी, नीरज भट्ट, जयंतीलाल पंचाल, पंडित कैलाश आचार्य, पण्डित प्रवीण भट्ट, विनी आचार्य, मुकेश भट्ट, मुकेश पंचाल, चेतन आचार्य, पंकज चौहान, गिरधारी राठौड़, वरिष्ठ पत्रकार पवन नाहर, आत्माराम शर्मा, समकित तलेरा, मनीष अहिरवार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित हुए। गुरु भक्तों ने देर शाम तक भंडारे का लाभ लियाl
मंदिर परिसर में स्थापित हुआ शिव परिवार
अष्ट हनुमानजी मंदिर पर एक दिन पूर्व भगवान पशुपतिनाथ शिव परिवार प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। जिसमें यज्ञ आचार्य पं. सुरेन्द्र आचार्य द्वारा शिव परिवार प्रतिष्ठा महायज्ञ का आयोजन किया गया जिसके मुख्य जयमान देवेन्द्र अशोक पंचाल रहे। उल्लेखनीय है कि भक्त मलुकदासजी महाराज द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी वही मंदिर परिसर में प्राचीन बावड़ी सभी का ध्यानाकर्षण करती है वही मंदिर में चमत्कारी हनुमानजी महाराज, संतोषी माता, अम्बे माता, भगवान पशुपतिनाथ, गणेशजी महाराज, बटुक भैरव, देवशिल्प विश्वकर्माजी, महंत नागा देवनारायणदादाजी महाराज की प्रतिमा आदि पहले से ही मौजूद है वही इस मंदिर से ही नगर के अनेक धार्मिक आयोजन की शुरुआत होती है तो यहाँ भजन कीर्तन का क्रम सदैव चलता रहता है।