थांदलामध्यप्रदेश

Inspirational Story: खवासा कि दीपिका जी ने गाँव की महिलाओं को इस तरह दी सस्‍ते सैनिटरी पैड और नौकरी की सौगात, करना पड़ा संघर्ष

दीपिका जी आज की तारीख में अपने समूह की महिलाओं के साथ अन्य जिले के समूहों के लिए आदर्श एवं प्रेरणा बनी

प्रीतिशअनिल शर्मा
झाबुआ,थांदला।
झाबुआ जिले के विकासखंड थांदला के गांव खवासा की रहने वाली श्रीमती दीपिका चंद्रावत जिनकी आजीविका मिशन से जुड़ने से पहले आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। दीपिका जी के पति एक छोटी सी दुकान से अपना जीवन व्यापन करते है। दीपिका जी के पढ़े लिखे होने के बावजूद उनको सही अवसर ओर सही जानकारी का अभाव होने के कारण वो अपने घर वालो की मदद नही कर पाते थे। दीपिका जी का सपना था की वो अपनी योग्यता का इस्तेमाल करे ओर अपनी और गांव वालो की आजीविका सुदृढ़ करे।जब वर्ष 2020 में उन्होंने आजीविका मिशन के अंतर्गत चले आ रहे स्वयं सहायता समूह के बारे में सुना तो उन्होंने आवश्यक जानकारी लेकर समूह का हिस्सा बनी क्योंकि वो समूह में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी महिला थी तो समूह की बाकी महिलाओं ने सहमति से उनको अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया।
दीपिका जी को आजीविका मिशन के माध्यम से अनेक प्रशिक्षण मिले जिससे उनकी विभिन्न प्रकार की कौशल क्षमता का निर्माण हुआ जिससे उन्होंने अपने समूह की बाकी महिलाओं को भी सशक्त किया।

दीपिका जी के जीवन में मोड़ तब आया जब आजीविका मिशन की टीम ने उनके कार्य को सहराते हुए उनको व्यवसायिक गतिविधि से जोड़ने के लिए वर्ष 2021 में उनके समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित करके सैनिटरी पैड बनाने के कार्य के बारे में समझाया फिर दीपिका जी ने इस सुनहरे अवसर को दोनो हाथों से स्वीकार किया और फरवरी 2021 से इस कार्य को आजीविका मिशन के माध्यम से शुरू कर दिया।

दीपिका जी के समूह ने बहुत ही अच्छे से सैनिटरी पैड बनाने का कार्य किया क्योंकि उनके पास मैनुअल मशीन होने के कारण उनको मेहनत ओर समय भी ज्यादा व्यर्थ होता था। दीपिका जी ने अपने समूह की महिलाओं ओर आजीविका मिशन की टीम से वार्तालाप करके ऑटोमैटिक मशीन लाने के बारे में बात रखी जिसको सभी ने सराहा। दीपिका जी और उनके समूह की महिलाओं ने अहमदाबाद जाकर मशीन देखी ओर उसको ऑर्डर भी किया। अभी दीपका जी का सपना है कि आजीविका मिशन की मदद और उनके समूह की मेहनत से इस व्यवसाय को बहुत ही प्रसिद्ध एवं फेलाना है ताकि हर महिला को इसकी जानकारी हो ओर सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कर पाए।
दीपिका जी आज की तारीख में अपने समूह की महिलाओं के साथ अन्य जिले के समूहों के लिए आदर्श एवं प्रेरणा बन चुके है। दीपिका जी अपनी इस उपलब्धि के लिए हमेशा आजीविका मिशन को धन्यवाद देती है।

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