
और कितने फर्जी डॉक्टरों के हाथों मौतो के बाद जागृत होगा प्रशासन
प्रीतिश अनिल शर्मा
और कितनी मौतों के बाद जागृत होगा प्रशासन आए दिन होने वाली घटनाओं के बाद सब कुछ संज्ञान में होने के पश्चात भी शिकायत होने के पश्चात भी ठोस कार्रवाई ना कर अपने कर्तव्य को इतिश्री करने का झाबुआ प्रशासन का शायद एक दस्तूर बन चुका है।
हाल ही में हुई घटना में थांदला के एक निजी नर्सिंग होम में एक बालिका की इलाज के उपरांत मृत्यु हो गई आक्रोशित परिजनों द्वारा निजी संचालक से मारपीट कर थाने में मरीज की मृत्यु की रिपोर्ट लीखाई गई जिसकी एफ आई आर थाना प्रभारी द्वारा दर्ज की गई साथ ही निजी संचालक फोजमल नायक के कथन अनुसार उनके साथ हुई मारपीट की एफ आई आर भी दर्ज करवाई गई।
प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए साईं नर्सिंग होम को सील कर दिया और फोजमल नायक और नर्सिंग होम के खिलाफ जांच कायम कर दी।
जिले में इस तरह के सैकड़ों फर्जी क्लिनिक संचालित है समझ में यह नहीं आता की किस स्वार्थ के कारण उनकी अनदेखी की जा रही है।
देखना यह है कि एक निर्दोष आदिवासी बालिका की मौत के बाद भी प्रशासन इन अवैध नर्सिंग होम संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही करेगा या इस घटना को भी धुएं में उड़ा दिया जाएगा।
गौरतलब हैं की प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में होने के बावजूद पूरे जिले में फोजमल जेसे सैकड़ो फर्जी डाक्टर अपनी खुल्ली दुकान चला रहे हैं फिर भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती हैं प्रशासन की अनदेखी की कीमत भोली भाली जानता को अपनी जान दे कर चुकाना पड़ता हैं।