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थांदला के प्रियांश बने जिन शासन के जिनांश – हाटपिपल्या में हुई तीन जैन भगवती दीक्षा में एक थांदला से

हजारों गुरुभक्त रहे जैन भगवती दीक्षा के साक्षी


प्रीतिश अनिल शर्मा
#थांदला। धर्म नगरी थांदला से अब तक 30 से अधिक भव्य आत्मओं ने जैन भगवती दीक्षा धारण कर अपने जीवन को आत्म कल्याण में लगाया है। जैनाचार्य श्री जवाहरलालजी महाराज एवं जिनशासन गौरव श्री उमेशमुनिजी महाराज “अणु” ने यही जन्म लिया व आत्म कल्याण के साथ पूरे देश को धर्म की अलौकिक शक्ति से जागृत कर जिन शासन की प्रभावना की। इसी श्रंखला को उनके अंतेवासी शिष्य पूज्य श्री धर्मदास गण के नायक बुद्धपुत्र आगम विशारद श्री जिनेन्द्रमुनि महाराज साहेब ने आगे बढ़ाते हुए अनेक आत्माओं को संयम के लिए प्रेरित किया। उनकी व संतों की वाणी से प्रेरणा लेकर देवास के निकट तीन भव्य आत्माओं ने निर्भय वक्ता पूज्य श्री गुलाबमुनिजी के सानिध्य में आगम विशारद श्री जिनेन्द्रमुनिजी के मुखाग्र से 54 संत-सतियों के सानिध्य में देवास के हाटपिपल्या में जैन भगवती दीक्षा ग्रहण की।
तीन घण्टे से ज्यादा समय चले दीक्षा समारोह में निर्भय वक्ता पूज्य श्री गुलाबमुनिजी, जिनेन्द्रमुनिजी, धर्मेन्द्रमुनिजी एवं अन्य संतों ने उपस्थित धर्म परिषद को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए संयम का महत्व बताया तो महासतियों ने मंगल स्तवन सुनाए। प्रवर्तक श्री ने दीक्षार्थी भाइयों को आलोचना आदि क्षेत्र शुद्धि विधि सम्पन्न करवाते हुए करेमि भंते के पाठ से तीन करण तीन योग से पूर्ण रूप से सकल सावद्य योग (पाप क्रियाओं) के त्याग करवाये इसी के साथ तीनों मुनियों के सांसारिक नाम बदल आध्यात्मिक नाम प्रदान किये। रतलाम निवासी पवन कासवा अब पावन मुनिजी, थांदला की बेटी के इंन्दौर निवासी प्रांसुक भाई प्रसन्नमुनिजी व थांदला के प्रियांश अब जिनांशमुनिजी के नाम से जाने जाएंगे। आयोजन में धर्मदास गण परिषद की समस्त संस्थाओं के साथ मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र राज्यों के अनेक स्थानों से गुरुभक्त शामिल हुए। जानकारी देते हुए पवन नाहर ने बताया कि थांदला श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत के नेतृत्व में कमलेश लोढ़ा, आशुका लोढ़ा आदि दीक्षार्थी के परिजन, मित्रगण व 150 से अधिक श्रावक – श्राविकाओं ने दीक्षा समारोह में भाग लिया।

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