
‘‘खेतों में फसल अवशेष (नरवाई) जलाने पर दण्ड का प्रावधान‘‘
प्रीतिश अनिल शर्मा
झाबुआ। जिले की कलेक्टर श्रीमती रजनी सिंह के निर्देशन में जिले के उप संचालक कृषि नगीन रावत द्वारा जिले के किसानों को गेहूँ फसल की कटाई के बाद शेष बचे फसल अवषेष (नरवाई) को ना जलाने की अपील की गई है, नरवाई जलाना पर्यावरण के लिए अत्यन्त हानिकारक है, अतः इसे कतई ना जलावें। गेहूँ की फसल कटाई के लिए हार्वेस्टर आदि का बहुतायत में उपयोग किया जाने लगा है। फलस्वरूप कटाई के उपरान्त खेतों में नरवाई एवं भूसा शेष बचता है, जिन्हें किसान अनुपयोगी समझकर आग लगाकर नष्ट करते है, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है।
फसल अवशेष के उचित प्रबंधनः उप संचालक कृषि श्री नगीनसिंह रावत द्वारा समझाईश दी जाती है कि, फसल कटाई उपरान्त खेत में बचे अवशेषों का उचित तरीके से प्रबंधन किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। किसान भाई नरवाई नष्ट करने हेतु रोटावेटर चलाकर नरवाई को बारीक कर मिट्टी मे मिलावें, जिससे जैविक खाद तैयार होती है। नरवाई से भूसा तैयार कर पषु आहार के रूप में उपयोग करें। जिन क्षेत्रों में कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई की जाती है, वहाँ हार्वेस्टर के साथ स्ट्रारीपर एवं रीपर-कमबाईन्डर के उपयोग करने की सलाह है, जिससे फसल को काफी नीचे से काटा जा सकता है एवं नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं होती है। खेतों की गहरी जुताई, हैप्पी सीडर तथा जीरोटिलेज सीडड्रिल से बुआई को प्रोत्साहित किया जा रहा है, इन यन्त्रों के उपयोग से फसल अवशेषों को भूमि में ही मिलाया जा सकेगा, जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति बढेगी तथा फसल उत्पादन भी बेहतर प्राप्त होगा।
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल द्वारा धान-गेहूँ फसल अवशेषों का यथा-स्थान विघटन हेतु एक्सेल डिकम्पोजर तकनीक (एक्सेल डिकम्पोजर कैप्सूल) विकसित की है जो फसल अवशेषों को 25-30 दिनों के अन्दर ही सड़ाकर खाद बना देती है। एक्सेल डिकम्पोजर कैप्सूल की अधिक जानकारी के लिये भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल के दूरभाष नम्बर 0755-2730948 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
दण्ड का प्रावधान:- 1. खेतों मे नरवाई जलाने का कृत्य जिला कलेक्टर द्वारा धारा 144 के तहत प्रतिबंधित है। 2. निर्देशंो का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति/निकाय को नोटिफिकेशन प्रावधान अनुसार पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना अन्तर्गत नरवाई में आग लगाने के विरूद पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि दण्ड का प्रावधान निर्धारित किया गया है – 1. ऐसा काई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 एकड़ तक कि भूमि है, तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में रू 2500/- प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा। 2. ऐसा काई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 से 5 एकड़ तक कि भूमि है, तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में रू 5000/- प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा। 3. ऐसा काई व्यक्ति ध्निकायध्कृषक जिसके पास 5 एकड से अधिक भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में रू 15000/- प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा।